Friday 28 October 2011

कविता

 कोरे   कागज़  पर   कुछ  लिख   कर ,
  मन     हल्का     कर     लेते      हैं  /
  कुछ   शब्दों  को   मिलाजुला कर,
  हम    कविता    लिख    लेते    हैं  /

  कभी    किसी    से    नहीं     कहीं,
  अंतर्मन    में      उठती        बातें   /
  उन    खट्टी     मीठी    बातो      से  ,
  पन्नों     को     भर     लेते       हैं  /

  कुछ   सपने   कुछ    झूठे     वादे,
  हमें     रुला    कर     चले     गए  /
 आँख   पोंछ   कर   बड़े  जतन  से ,
  फिर    सपने    बुन     लेते     हैं  /

  सपने    तो    बस    सपने    होते ,
  सपनो     का     अपना     संसार  /
  और    हकीकत   तेज    धार   सी ,
  लोहे      की       पेनी      तलवार /

  हँसना    रोना    सपने    बुनना ,
  ये     भी     एक     हकीकत   है /
  सपनो   से    ही  साहस  ले  कर ,
  अपना    मन     भर    लेते     हैं  /

   सपने    सच    भी    होते     हैं ,
   ये   बात   हमें   मालूम   तो  हैं /
  लेकिन   इन  नयनो  का   क्या ,
  ये  आँचल   तर्   कर   लेते  हैं /

  सबकी   अपनी  अलग   कहानी ,
  अलग   सभी   की  यहाँ    कथा  /
  चलो   आज  सबकी   झोली  मैं  ,
   ममता   कुछ    भर    देते    हैं  /

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